कार्ययोजना
कार्ययोजना और कार्यक्षेत्र
जिस व्यवस्था ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को अपने चंगुल में दबोच रखा है, उसे मिशन तिरहुतीपुर के माध्यम से चुनौती देने की तैयारी हो रही है, यह बात कई लोगों को बचकानी लग सकती है। लेकिन गोविन्दाचार्य ऐसा नहीं मानते। उनका कहना है कि लक्ष्य की विशालता और लक्ष्यकर्ता की साधनहीनता को आधार बनाकर लक्ष्य प्राप्त न हो पाने की आशंका जताना ही वास्तव में बचकानी सोच है। वे जोर देकर कहते है कि लक्ष्य प्राप्ति मूलतः दृढ़ संकल्प, सटीक कार्ययोजना, निरंतर प्रयास और बाह्य परिस्थितियों की अनुकूलता जैसे कारणों पर अधिक निर्भर करती है। यदि हमारे प्रयास में पवित्रता है तो हमारे साथ स्वयं भगवान खड़े होते हैं। और अंततः वही सब कुछ तय करते हैं।
कार्यक्षेत्र की भौगोलिक इकाई को कम से कम रखना और वहां किए जाने वाले कार्यों को ज्यादा से ज्यादा रखना गोविन्दजी की रणनीति का मुख्य घटक है। सामाजिक सरोकार और शुभ लाभ के साथ उद्यमिता के आधार पर मिशन तिरहुतीपुर के तहत कुल नौ प्रकार के कार्य किए जाएंगे। इन कार्यों के बीच सामंजस्य बिठाते हुए एक ऐसा माडल विकसित करने की योजना है जो कालांतर में आस-पास के गांवों और फिर देश से होता हुआ पूरी दुनिया में फैल जाए।
मिशन के अंतर्गत जो भी कार्य होंगे उसमें तीन तरह से लोग हिस्सा लेगे। पहली श्रेणी में निवेशक या दानदाता होंगे। दूसरी श्रेणी जमीनी स्तर पर काम करने वालों की होगी। तीसरी श्रेणी में समन्वयकर्ता होंगे जो निवेशक और उद्मयमी या सामाजिक कार्यकर्ता के बीच पुल का काम करेंगे और साथ ही परियोजना के प्रबंधन पर भी ध्यान देंगे। विविध प्रकार के प्रयोगों और नवाचार से इऩ तीन श्रेणियों के बीच तालमेल और विश्वास को लगातार बेहतर बनाने पर जोर दिया जाएगा।
मिशन के अंतर्गत अलग-अलग समय पर जो 9 प्रकार के कार्य किए जाने हैं, उनका विवरण इस प्रकार है।

मीडिया
मिशन तिरहुतीपुर में मीडिया सबसे महत्वपूर्ण विषय है। इसके तहत पुस्तकों, पत्रिकाओं और आनलाइन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का बखूबी इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा स्वतंत्र मीडिया प्रतिष्ठानों के द्वारा भी अपनी बात को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा। मीडिया के नए पुराने सभी तरीकों का इस्तेमाल करके व्यवस्था परिवर्तन के लिए लोगों को वैचारिक धरातल पर अनुकूल बनाना मिशन की सबसे बड़ी प्राथमिकता है। यहां किसी प्रकार का भौगोलिक बंधन नहीं रहेगा।

सामुहिक आयोजन अर्थात ईवेंट्स
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। विभिन्न प्रकार के आयोजनों के द्वारा एक-दूसरे से मिलना मनुष्य की सहज वृत्ति है। गांव का छोटा मेला हो या तीर्थों में लगने वाला कुंभ, सभी इसी वृत्ति के तहत विकसित किए गए थे। मिशन तिरहुतीपुर के अंतर्गत हम तिरहुतीपुर को केन्द्र में रखते हुए ऐसे सभी निजी और सार्वजनिक आयोजनों का उपयोग करेंगे जहां हमें लोगों तक अपनी बात पहुंचाने का मौका मिलेगा। हम मौजूदा आयोजनों के साथ-साथ कई प्रकार के नए आयोजनों की भी शुरुआत करेंगे जिसमें समाज के सभी वर्गों और विशेष रूप से बच्चों और युवाओं की खूब सहभागिता हो।

आधारभूत ढांचे का विकास
भवन सहित विविध प्रकार के निर्माण कार्य आजकल विकास का सबसे बड़ा पैमाना है। अतीत में भी ऐसा था और भविष्य में भी इसका महत्व बना रहेगा। अतीत में गांवों में होने वाले निर्माण कार्य में स्थानीय तकनीक, सामग्री और डिजाइन की निर्णायक भूमिक होती थी। आजकल ग्रामीण इलाकों में इन तीनों क्षेत्रों में जड़ता देखी जा रही है। स्थान की जलवायु, संस्कृति और जरूरतों की परवाह किए बिना शहरी डिजाइन, फैक्ट्री में बनी सामग्री और नकल की हुई डिजाइन तथा कार्यपद्धित का बोलबाला है। मिशन तिरहुतीपुर यह सब बदलने की तैयारी कर रहा है।

संगठन प्रणाली में नवाचार
जाति, गोत्र सहित कई ऐसी संगठन प्रणालियां हैं जिनका हमारे पुरखों ने हजारों वर्ष में परिष्कार किया था। उनकी गहराई में गए बिना हमने उन्हें हर तरीके से नष्ट या दूषित करने का प्रयास किया है। हमारा व्यवहार कुछ ऐसा रहा जैसे कोई कीचड़ से सने सोने को कोई धोकर रखने की बजाए उसे फेंक दे। इस मामले में मिशन तिरहुतीपुर की ओर से हस्तक्षेप किया जाएगा। वहीं संगठन की कई ऐसी प्रणालियां हैं जिन्हें हाल के वर्षों में पश्चिमी सभ्यता में विकसित किया गया है। हम उन्हें भी आजमाएंगे। नील फर्ग्यूशन की एक बड़ी मशहूर किताब है – द स्क्वेयर एंड द टावर। हमारी संगठन प्रणाली टावर की तरह नहीं बल्कि स्क्वेयर की तरह होगी।

शिक्षा
आज हमारे बच्चे और युवा जिस शिक्षा प्रणाली का त्रास झेल रहे हैं, उससे उन्हें मुक्त कराना मिशन तिरहुतीपुर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। मिशन तिरहुतीपुर का यह सबसे निर्णायक प्रोजेक्ट होगा। इस प्रोजेक्ट को हम कई चरणों में लागू करेंगे। पहले चरण में हम पारंपरिक स्कूल, कालेजों के प्रतिद्वंद्वी नहीं बल्कि उनके पूरक की भूमिका निभाएंगे। इस दौरान हम एक्स्ट्रा करिक्यूलर ऐक्टिविटीज और करियर ओरिएन्टेशन पर विशेष जोर देंगे। हमारी पूरी कोशिश होगी कि बच्चों की प्रतिभा को पहचानकर उनके शिक्षण-प्रशिक्षण के रास्ते तय किए जाएं और इसमें विद्यार्थी के माता-पिता की आर्थिक स्थिति की कम से कम भूमिका हो।

कृषि
मिशन तिरहुतीपुर को मूलतः ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है। स्वाभाविक है कि ग्रामीण क्षेत्र में कोई भी काम तब तक पूरा नहीं माना जाएगा, जब तक उसमें कृषि को न शामिल किया जाए। इसलिए हमारे लिए भी कृषि का विशेष महत्व रहेगा। जब हम कृषि कहते हैं तो उसमें बागवानी, पशुपालन आदि तो शामिल ही होंगे। हमारा मानना है कि कृषि के सुधार के लिए तकनीक के बेहतर इस्तेमाल के साथ-साथ कृषि से जुड़े मनोविज्ञान, दर्शन और संगठन शास्त्र पर भी उचित ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारी कोशिश होगी कि कृषि कार्य में भूमि पर मालिकाना हक रखने वाले किसानों के साथ समाज के दूसरे वर्गों की भी इसमें सहभागिता बढ़े।

गैर कृषि उत्पादन
अभी गांवों में उत्पादन का मतलब केवल कृषि उत्पादन हो गया है। मिशन तिरहुतीपुर इसे बदलने के लिए कटिबद्ध है। पहले चरण में हम गांव में ऐसी गैर कृषि उत्पादन गतिविधियों को बढ़ावा देंगे जो निम्न में से अधिकतर शर्तों को पूरा करती हो क) किसी मशीन के बिना या बहुत साधारण किस्म की मशीनों का इस्तेमाल हो। ख) शहर के मुकाबले गांव में उत्पादन की लागत बहुत कम आ रही हो। ग) पूंजी की कम से कम जरूरत हो। घ) उत्पादन की खपत बाहर के साथ-साथ स्थानीय बाजारों में भी हो। ड.) कोई ऐसा उत्पादन किया जाए जिसमें न्यूनतम प्रतिस्पर्धा हो। च) वे कार्य जिन्हें शहरों के बड़े उद्योग गांवों में आउटसोर्स कर सकें।

व्यापार
व्यापार को आर्थिक उन्नति का सबसे पुराना और भरोसेमंद उपाय माना जाता है। मिशन तिरहुतीपुर इस विधा का भी यथोचित उपयोग करने के लिए कटिबद्ध है। स्थानीय जीवनशैली और बाजार की स्थिति को ध्यान में रखकर उन तमाम वस्तुओं की सूची बनाएंगे जिन्हें बाहर से खरीदकर स्थानीय बाजारों में बेचा जा सकता है या जिनकी स्थानीय बाजार से खरीद कर बाहर के बाजारों में आपूर्ति की जा सकती है। व्यापार के मामले में हम एक ऐसी आधारभूत संरचना खड़ी करेंगे जिसमें स्थानीय लोगों की बड़े शहरों के बाजार पर निर्भरता कम हो जाए। इसी के साथ आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को व्यापार करने का अवसर प्रदान करना भी हमारे लिए प्राथमिकता का विषय होगा। विशेष प्रकार के व्यापारिक क्षेत्र बनाने पर भी काम करने की योजना है।

विशेष प्रकार की सेवाएं
आज की आर्थिक व्यवस्था में सेवा क्षेत्र की बड़ी हिस्सेदारी है और यह दिनोदिन बढ़ती जा रही है। भविष्य में भी सेवा क्षेत्र के तेजी से बढ़ने की संभावना है। अभी ये सेवाएं मुख्यतः शहरों में ही सीमित है। हमें गांवों को भी इसके लिए तैयार करना है। उदाहरण के लिए वित्तीय सेवाएं अभी भी गांवों से लगभग नदारद हैं। गांवों में आज भी सूदखोर सक्रिय है जो लोगों की गाढ़ी कमाई को जोंक की तरह चूस जाते हैं। इसे बदलना है। सेवा क्षेत्र में हमारा सबसे बड़ा योगदान इस बात से निर्धारित होगा कि हम गांव वाले की नजर से गांव की जरूरतों और यहां की समस्याओं को समझे और फिर उसे एक व्यवसायिक या गैर व्यवसायिक सेवा के रूप में लोगों को उपलब्ध कराएं। इसके लिए सूचना प्रौद्योगिकी और आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस सहित किसी भी नई तकनीक का हर संभव इस्तेमाल किया जाएगा।